हार्ड डिस्क ड्राइव (Hard Disk Drive) कंप्यूटर की सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory) होती है इसका प्रयोग बड़े पैमाने पर डाटा को स्टोर करने के लिए किया जाता है और डाटा को तेज गति से दोबारा प्राप्त किया जा सकता है आईये जानते हैं हार्ड डिस्क की भौतिक संरचना – Physical Structure Of Hard Disk in Hindi
हार्ड डिस्क की भौतिक संरचना – Physical Structure Of Hard Disk in Hindi
असल में हार्ड डिस्क कई सारी प्लैटरों को मिलाकर एक एयरटाइट केस में एक के ऊपर एक लगाकर यानी डिस्क का ढेर बनाकर एक हार्ड डिस्क का निर्माण किया जाता है प्रत्येक प्लैटर एक पतली गोलाकार धातु प्लेट का बना होता है जिसके दोनों ओर मैग्नेटिक लेयर होती है यानी मैग्नेटिक पदार्थ की कोटिंग होती है आजकल जितने भी प्लैटर होते हैं वह 3.5 इंच डायमीटर के होते हैं
मान लीजिए एक कंप्यूटर जिसमें 80 GB या उससे अधिक क्षमता की हार्ड डिस्क का प्रयोग होता है उसमें 7 या अधिक डिस्क एक केंद्रीय शाफ्ट पर लगी होती हैं जो लगभग 2400 से 7200 आरपीएम यानी चक्कर प्रति मिनट की स्पीड से घूमती हैं यह प्लैटर एक दूसरे से 1.5 इंच की दूरी पर लगे होते हैं प्रत्येक प्लैटर के ऊपर और नीचे रीड और राइट हेड दिया गया होता है जो एक मूबेबल आर्म के साथ जुड़ा होता है दो प्लेटर के बीच लगे आर्म दो रीड और राइट हैड लेकर चलते हैं, अत एक 6 प्लेटर वाली हार्डडिस्क को 12 हेड वाली डिस्क भी कहा जा सकता है
हार्ड डिस्क में जितनी भी डिस्क होती हैं वह समान गति पर घूमती हैं व समान दिशा में घूमती हैं आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हार्ड डिस्क की सबसे ऊपरी सतह और सबसे निचली सतह पर डाटा स्टोर नहीं होता है बाकी जितनी में डिस्क होती हैं उन सभी सतह पर डाटा स्टोर किया जा सकता है प्रत्येक डिस्क में कई सारे अदृश्य व्रत होते हैं जिन्हें ट्रैक कहा जाता है इन ट्रैकों को एक नंबर दिया जाता है सबसे बाहरी ट्रक का जो नंबर होता है वह जीरो होता है अब हर डिस्क पर यह ट्रैक दिए गए होते हैं और एक ही नंबर वाले सभी ट्रैक एक सिलेंडर का निर्माण करते हैं इस प्रकार एक हार्डडिस्क में जिसमें 10 प्लैटर होते हैं और 18 रिकार्डिग सतहें होती हैं क्योंकि हार्ड डिस्क की सबसे ऊपरी सतह और सबसे निचली सतह पर डाटा स्टोर नहीं होता है इसलिये वह 18 ही होती हैं और इस तरह सिलेंडर में 18 ट्रैक होते हैं
लेटेंसी टाइम (Latency time) और सीक टाइम (seek time)
एक डिस्क में निश्चित ट्रैक पर पहुंचने में लगने वाले समय को लेटेंसी टाइम (Latency time) कहा जाता है और रिकॉर्ड को पढ़ने में अलने वाले समय को सीक टाइम (seek time) कहा जाता है लेटेंसी टाइम (Latency time) और सीक टाइम (seek time) दोनों मिलाकर कुल समय एक हार्डडिस्क का एक्सेस टाइम (Access time) को बोला जाता है
अब जान लेते हैं हार्ड डिस्क में डाटा को कैसे व्यवस्थित रखा जाता है डाटा को व्यवस्थित रखने के लिए डॉस मेमोरी डिस्क को दो भागों में बांटती है
1. सिस्टम एरिया और
2. दूसरा डाटा एरिया
1- सिस्टम एरिया (System Area)
सिस्टम एरिया हार्ड डिस्क का कुल 2% होता है जो डिस्क की मूल संरचना को संगठित करने के लिए प्रयोग किया जाता है सिस्टम एरिया को तीन भागों में बटा होता है –
- बूट रिकोर्ड्स(Boot Records)
- फैट(FAT)
- रूट डायरेक्टरी (Root Directory)
a- बूट रिकोर्ड्स (Boot Records)
बूट रिकोर्ड्स (Boot Records) को पार्टीशन सेक्टर भी कहा जाता है एक सेक्टर का आकार 512 बाइट का होता है जिसके पहले सेक्टर का उपयोग किया जाता है इन बूट्स एक्टर्स में निम्नलिखित जानकारी होती है जैसे डिस्क का प्राइमरी पार्टीशन टेबल कहां रखना है कंप्यूटर स्टार्ट करने की प्रक्रिया के लिए आवश्यक कोड और निर्देश की जानकारी आदि रहती है
b- फैट (FAT)
फैट(FAT) की फुल फॉर्म है फाइल एलोकेशन टेबल जिसे संक्षेप में फैट कहा जाता है फैट(FAT) टेबल बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इसमें डाटा का पूरा रिकॉर्ड रहता है कि वह कहां पर स्टोर किया जाना है
c- रूट डायरेक्टरी (Root Directory)
कंप्यूटर के फाइल सिस्टम के डायरेक्टरी शृंखला की पहली डायरेक्टरी रूट डायरेक्टरी (Root Directory) होती है इसे मूल डायरेक्टरी के नाम से भी जानते हैं इसी में सभी अन्य फाइल है डायरेक्टरी और सब डायरेक्टरी का हिसाब-किताब रहता है
2- डाटा एरिया (Data Area)
2% हिस्सा सिस्टम एरिया कवर करता है तो 98% प्रतिशत हिस्सा डाटा एरिया (Data Area) कवर करता है हमारे द्वारा बनाई गई सभी प्रकार की फाइलें और डाटा इसी डाटा एरिया में तो रहता है यह पूरा डिटेल या छोटे-छोटे क्लस्टर में विभाजित रहता है
हार्ड डिस्क के प्रकार (Types of hard disk)
हार्ड डिस्क के चार प्रकार होते है जो निम्नलिखित है-
PATA (Parallel Advanced Technology Attachment)
ये सबसे पुराने प्रकार की हार्ड डिस्क है. इसका उपयोग पहली बार 1986 में किया गया था. PATA Hard Disk कंप्यूटर से जुड़ने के लिए ATA interface standard का उपयोग करती है. इसे पहले Integrated Drive Electronics (IDE) के रूप में संदर्भित किया जाता था. यह एक मध्यम गति की हार्ड डिस्क है, इसका data transfer rate 133MB/s तक है, ये ड्राइव magnetism के इस्तेमाल से data store करती है.
SATA (Serial Advanced Technology Attachment)
आज के अधिकतर कंप्यूटर और लैपटॉप में आपको इस प्रकार की Hard Disk मिलेगी. एक PATA drive के मुकाबले SATA Hard Disk का data transfer rate अधिक होता है. इसकी गति 150MB/s से 600MB/s तक हो सकती है. SATA cables काफी पतली और लचीली होती है, जो PATA cables के मुकाबले काफी बेहतर है. ये कई मायनों में पुरानी हार्ड डिस्क ड्राइव से बेहतर है.
SCSI (Small Computer System Interface)
इस प्रकार के हार्ड डिस्क कंप्यूटर से जुड़ने के लिए छोटे कंप्यूटर सिस्टम इंटरफेस का इस्तेमाल करते है. ये IDE hard drive के काफी समानांतर है. SCSI Hard Disk के नये संस्करण (16-bit ultra – 640) की data transfer speed 640 MBps तक है और यह 12 meter की लंबाई वाली cable के साथ 16 device से कनेक्ट कर सकता है.
SSD (Solid State Drive)
SSD का फुल फॉर्म Solid State Drive है. इसे आप HDD (Hard Disk Drive) का रिप्लेसमेंट भी कह सकते है. इसमे डाटा को स्टोर करने के लिए flash memory का उपयोग होता है. SSD एक electromechanical drive की अपेक्षा में अधिक मजबूत होती है. इसलिए इसे solid-state device भी कहा जाता है. इस प्रकार की ड्राइव का एक्सेस टाइम बहुत अधिक होता है. ये बाकी हार्ड डिस्क की तरह आवाज नही करती है और बिना रुकावट के चलती है.
हार्ड डिस्क ड्राइव के मुकाबले यह आकार में काफी कम होती है, जिससे यह सीपीयू के अंदर कम जगह घेरती है. एसएसडी के दो प्रमुख घटक है, जो इसे बनाते है. जिसमे flash controller और NAND flash memory chips शामिल है. आज के ज्यादातर कंप्यूटर और लैपटॉप में SSD का प्रयोग होता है. यह HDD के मुकाबले एक बेहतर स्टोरेज डिवाइस है.
Hard Disk के कुछ प्रमुख घटक (components) और उनके कार्यो के बारे में नीचे निम्नानुसार दर्शाया गया है.
- MAGNETIC PLATTERS इसका एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसमे digital information को चुम्बकीय रूप से स्टोर किया जाता है. इसमे डाटा बाइनरी फॉर्म (0 से 1) में सेव रहता है.
- READ/WRITE HEAD एक छोटा सा चुम्बक होता है, जो रिड राइट आर्म के आगे लगा होता है. यह प्लेटर के उप्पर दाएं से बाएं खिसकता है और सूचनाओं को रिकॉर्ड तथा स्टोर करने का काम करता है.
- ACTUATOR की मदद से Read-write arm घूमता है.
- READ-WRITE ARM, रीड राइट हेड का पिछला हिस्सा है, यह दोनों आपस मे जुड़े हुवे होते है.
- SPINDLE एक प्रकार की moter है, यह प्लेटर के बीच में मौजूद रहता है. इसकी मदद से ही platters घूमते है.
- CIRCUIT BOARD प्लेटर से डाटा के प्रभाव को नियंत्रित करता है.
- CONNECTOR सर्किट बोर्ड से रीड-राइट और प्लेटर तक डाटा पहुँचाता है.
- LOGIC BOARD एक प्रकार की chip होती है, जो HDD से input या output की सभी जानकारी को नियंत्रित करती है.
- HSA रीड राइट आर्म का parking area होता है.
HDDव SDD में प्रमुख अंतर (SSD vs HDD)
HDD की बात सबसे पहले करते है. यह चुम्बकिय तत्व से बनी होती है और इसके अंदर मकैनिकल पार्ट्स होते है. इसकी storage capacity बहुत अधिक होती है, जिसके चलते आप अपने computer में 1TB या उससे अधिक डाटा स्टोर कर सकते है. अगर आप एक HDD खरीदते है, तो वह आपको काफी सस्ते दामों में मिल जाएगी. एचएचडी की डाटा एक्सेस स्पीड काफी सुस्त होती है. यानी आपके प्रोग्राम और कंप्यूटर को चालू होने में काफी समय लगता है.
SSD इसके मुकाबले काफी तेज है और यही इसकी एक बड़ी उपलब्धि भी है. यह डाटा को स्टोर करने के लिए Integrated circuit (IC,Chips) का उपयोग करती है. आकार में HDD के मुकाबले काफी छोटी होती है. यह अलग – अलग स्टोरेज क्षमता के साथ आती है. परन्तु इसकी कीमत बहुत अधिक है जिसे आम व्यक्ति के लिए बर्दाश्त करना मुश्किल है. लेकिन अगर आप कम स्टोरेज वाली SSD खरीदते है, तो आपका कंप्यूटर बहुत फास्ट हो जाता है.