कंप्यूटर का विकासक्रम – कंप्यूटर की पीढियां | Development of Computers – Computer Generations     

कंप्यूटर का विकासक्रम में समय समय पर विभिन्न परिवर्तन होने के साथ आज के आधुनिक कंप्यूटर ने आकार लिया है। यह लगभग 16वीं शताब्दी का समय था जब कंप्यूटर का विकास शुरू हुआ था। प्रारंभिक कंप्यूटर से आधुनिक कंप्यूटर तक की यात्रा में कंप्यूटर को कई बदलावों का सामना करना पड़ा है। इस विकासक्रम में कंप्यूटर के कार्य करने की गति, सटीकता, आकार और कीमत के मामले में लगातार सुधार हुए हैं। कंप्यूटर के विकास की इस अवधि को विभिन्न चरणों में विभाजित किया गया है जिन्हें कंप्यूटर की पीढ़ियाँ (Computer Generations) कहा जाता है इन पीढ़ियो को कंप्यूटर के द्वारा उपयोग में ली जाने वाली टेक्नोलॉजी के आधार पर परिभाषित किया जाता हैं। समय अवधि के अनुसार कम्प्यूटर का वर्गीकरण निम्नानुसार पाँच पीढ़ियों में किया गया है।

  • प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर (1942 से 1955)
  • द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटर (1955 से 1964)
  • तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटर (1964 से 1975)
  • चतुर्थ पीढ़ी के कम्प्यूटर(1975 से 1995
  • पंचम पीढ़ी के कम्प्यूटर (वर्तमान से वर्तमान के उपरांत)

Table of Contents

प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर (First Generation Computer’s) – 1942 से 1955

1946 में इलेक्ट्रॉनिक वाल्व (वैक्यूम ट्यूब) का उपयोग करने वाले डिजिटल कंप्यूटर को पहली पीढ़ी के कंप्यूटर के रूप में जाना जाता है। इलेक्ट्रॉनिक वाल्व यानी वैक्यूम ट्यूब का उपयोग करने वाला पहला कंप्यूटर ENIAC था। वैक्यूम ट्यूब में बहुत अधिक बिजली की खपत होती है। ये कंप्यूटर आकार में बड़े थे और उन पर प्रोग्राम लिखना मुश्किल था। इस पीढ़ी के मुख्य कंप्यूटर निम्न हैं :

  • इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटर एंड कैलकुलेटर (ENIAC) Electronic Numerical Integrator and Calculator
  • इलेक्ट्रॉनिक डिस्क्रीट वेरिएबल आटोमेटिक कंप्यूटर (EDVAC) Electronic Discrete Variable Automatic Computer
  • यूनिवर्सल ऑटोमेटिक कंप्यूटर (UNIVAC) Universal Automatic computer  

इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटर एंड कैलकुलेटर (ENIAC) Electronic Numerical Integrator and Calculator

यह पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था जिसे 1946 में पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के जॉन एकर्ट (John Eckert) और जॉन मौची (John Mauchy) द्वारा बनाया गया था। इसे इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटर एंड कैलकुलेटर (ENIAC – Electronic Numerical Integrator and Calculator) नाम दिया गया था।        

ENIAC 30-50 फीट लंबा था, जिसका वजन 30 टन था, जिसमें 18,000 वैक्यूम ट्यूब, 70,000 रेसिस्टेंस, 10,000 कैपेसिटर लगे हुए थे। इस कंप्यूटर को लगभग 15,000 वाट बिजली की आवश्यकता होती थी। आज के कंप्यूटर ENIAC से कई गुना शक्तिशाली हैं, फिर भी आकार बहुत छोटा है।    

इलेक्ट्रॉनिक डिस्क्रीट वेरिएबल आटोमेटिक कंप्यूटर (EDVAC) Electronic Discrete Variable Automatic Computer

इलेक्ट्रॉनिक डिस्क्रीट वेरिएबल आटोमेटिक कंप्यूटर (EDVAC) 1950 में विकसित किया गया था। कंप्यूटर के अंदर डेटा और निर्देशों को संग्रहीत करने की अवधारणा को यहां पेश किया गया था। यह बहुत तेजी से संचालन की अनुमति देता है क्योंकि कंप्यूटर में डेटा और निर्देश दोनों की तीव्र पहुंच थी। निर्देश को संग्रहीत करने का अन्य लाभ यह था कि कंप्यूटर आंतरिक रूप से तार्किक निर्णय ले सकता था।

EDVAC एक बाइनरी सीरियल कंप्यूटर था जिसमें ऑटोमेटिक जोड़, घटाव, गुणा, प्रोग्राम्ड डिवीजन और एक अल्ट्रासोनिक सीरियल मेमोरी के साथ ऑटोमैटिक चेकिंग थी। 

यूनिवर्सल ऑटोमेटिक कंप्यूटर (UNIVAC) Universal Automatic Computer      

अमेरिका द्वारा 1951 में विकसित किया गया पहला व्यावसायिक कंप्यूटर था। मशीन की लंबाई 25 फीट 50 फीट थी, जिसमें 5600 ट्यूब, 18000 क्रिस्टल डायोड और 300 रिले थे। UNIVAC का उपयोग बड़ी मात्रा में इनपुट और आउटपुट के साथ सामान्य कंप्यूटिंग के लिए किया गया था। UNIVAC मैग्नेटिक टेप से लैस होने वाला पहला कंप्यूटर था और बफर मेमोरी का उपयोग करने वाला पहला कंप्यूटर था।

प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर की सीमाएं | Limitations of First Generation’s Computers         

इस पीढ़ी के कंप्यूटर बहुत महंगे थे। 

  • इनमें प्रोग्रामिंग के लिए मशीन स्तर की भाषा का उपयोग किया।  
  • इनकी कंप्यूटिंग क्षमताएं सीमित होने के कारण इतने सटीक और विश्वसनीय नहीं थे।  
  • इनमें बहुत सारी बिजली का उपभोग और बहुत सारी गर्मी पैदा होती थी।  
  • इन कंप्यूटर की प्रोसेसिंग स्पीड काफी धीमी और स्टोरेज क्षमता कम थी।  
  • इस पीढ़ी के कंप्यूटर आकार में बहुत बड़े थे।  
  • इसमें मुख्य इलेक्ट्रॉनिक घटक के रूप वैक्यूम ट्यूब का उपयोग किया था।  

प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटरों में निम्नानुसार प्रमुख कमियां थीं।

द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर (1955 से 1964) | Second Generation’s Computers (1955 to 1964) 

द्वितीय पीढी (Second Generation) के कम्प्यूर्स की समयावधि 1955 से 1964 तक की मानी जाती है. सन् 1948 मे ट्रांजिस्टर की खोज ने कम्प्यूटर के विकास मे महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। जिसके कारण वैक्यूम ट्यूब का स्थान ट्रांजिस्टर ने ले लिया जिसका उपयोग रेडियो, टेलिविजन, कम्प्यूटर आदि बनाने मे किया जाने लगा। जिसका परिणाम यह हुआ कि मशीनो का आकार छोटा हो गया। कम्प्यूटर के निर्माण मे ट्रांजिस्टर के उपयोग से कम्प्यूटर अधिक उर्जा दक्ष (Energy Efficient) तीव्र एवं अधिक विश्वसनीय हो गया। इस पीढीके कम्प्यूटर महंगे थे।

द्वितीय पीढी के कम्प्यूटर मे मशीन लेंग्वेज़ को एसेम्बली लेंग्वेज़ के द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया। एसेम्बली लेंग्वेज़ मे कठिन बायनरी कोड की जगह संक्षिप्त प्रोग्रामिंग कोड लिखे जाते थे। इन कंप्यूटर में उच्च स्तरीय भाषाओं जैसे कि फोरट्रान (1956), ALGOL (1960) और COBOL (1960-1961) का इस्तेमाल किया जाने लगा।     

द्वितीय पीढी के कंप्यूटर का आकार काफी कम हो गया। दूसरी पीढ़ी में सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू), मेमोरी, प्रोग्रामिंग लैंग्वेज और इनपुट और आउटपुट यूनिट की अवधारणा विकसित की गई थी। दूसरी पीढ़ी के कुछ कंप्यूटर आईबीएम 1620 ,आईबीएम 1401, सीडीसी 3600 हैं।

द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषताएँ | Characteristics of Second Generation’s Computers   

इनकी मुख्य विशेषताएँ निम्न थीं :            

  • इनपुट और आउटपुट डिवाइस के प्रयोग से कार्यों को करने में तेज थे। 
  • आकार में छोटा (51 वर्ग फीट) हो गए थे  
  • प्रोसेसिंग की गति (Processing Speed) फर्स्ट जेनरेशन कंप्यूटर से अधिक तेज थी।  
  • वैक्यूम ट्यूब के बजाय ट्रांजिस्टर का उपयोग किया गया था।     

तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर (1964 से 1975) | Third Generation’s Computers (1964 – 1975) 

तृतीय पीढी के कम्प्यूटर (Third Generation) की अवधि वर्ष 1964 से 1975 मानी जाती है। द्वितीय पीढ़ी में वैक्यूम ट्यूब का स्थान ट्रांजिस्टर ने ले लिया था परंतु इसके उपयोग से बहुत अधिक मात्रा मे ऊर्जा उत्पन्न होती थी जो कि कम्प्यूटर के आंतरिक भागों (Internal Parts) के लिए हानिकारक थी । सन् 1958 मे जैक किलबे ने इंटीग्रेटेड सर्किट (IC -Integrated Circuit) का निर्माण किया। जिसमें 300 ट्रांजिस्टर की क्षमता थी। इन इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) में कई ट्रांजिस्टर, रजिस्टर और कैपेसिटर होते हैं जो सिलिकॉन के एक ही पतले टुकड़े पर बनाए जाते हैं। जिसका परिणाम यह हुआ कि कम्प्यूटर अधिक तेज एवं छोटा हो गया।         

इस अवधि के दौरान विकसित किए गए कुछ मुख्य कंप्यूटर IBM- 360, ICL- 1900, IBM- 370 और VAX- 750 थे। उच्च स्तर की भाषा जैसे कि BASIC (Beginner’s All-purpose Symbolic Instruction Code) प्रोग्रामिंग लैंग्वेज इस अवधि के दौरान विकसित की गई थी। इस पीढ़ी के कंप्यूटर आकार में छोटे थे, कम लागत, अधिक मेमोरी और प्रोसेसिंग गति बहुत अधिक थी। बहुत जल्द ही आईसीएस को एलएसआई (लार्ज स्केल इंटीग्रेशन) द्वारा बदल दिया गया, जिसमें लगभग 100 घटक शामिल थे। लगभग 100 घटकों वाले एक IC को LSI कहा जाता है।

तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषताएँ | Characterstics of Third Generation’s Computers          

तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषताएँ निम्नानुसार थीं:              

  • इनमें प्रोग्रामिंग के लिए उच्च स्तरीय भाषा का उपयोग किया। 
  • मिनी कंप्यूटर इस पीढ़ी में पेश किए गए थे।  
  • लार्ज स्केल इंटीग्रेशन (LSI-Large Scale Integration) और वैरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन (VLSI – Veri Large Scale Integration) चिप्स भी विकसित किए गए थे।  
  • इन कंप्यूटरकी प्रोसेसिंग स्पीड अधिक थी और वे अधिक सटीक एवं विश्वसनीय थे।  
  • इनका आकार बहुत कम हो गया थाा।  
  • इनमें अर्ध चालक (Semi Conductor) मेमोरी उपकरणों का उपयोग किया गया ।  
  • इस पीढ़ी के कंप्यूटर में ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) चिप्स का इस्तेमाल किया।    

चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर | Fourth Generation’s Computers 

चतुर्थ पीढी के कम्प्यूटर (Fourth Generation Computer) का कार्यकाल लगभग 1975 से 1995 तक माना जाता है. सन् 1971 मे बहुत अधिक मात्रा मे इंटीग्रेटेड सर्किट को एक एकल /सिंगल चिप पर समाहित किया गया। LSI (Large Scale Integrated Circuit), VLSI(Very Large Scale Integrated Circuit ) मे बहुत अधिक मात्रा मे सर्किट को एक सिंगल चिप पर समाहित किया गया। लगभग 100 घटकों वाले एक आईसी को LSI (लार्ज स्केल इंटीग्रेशन) कहा जाता है और जिसमें 1000 से अधिक घटक होते हैं उन्हें वीएलएसआई (वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन) कहा जाता है। यह माइक्रोप्रोसेसर नामक सिलिकॉन चिप पर निर्मित बड़े पैमाने पर एकीकृत सर्किट (LSIC) का उपयोग करता है।     

माइक्रोप्रोसेसर के विकास के कारण कंप्यूटर की सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू) को सिंगल चिप पर बनाया जाना संभव हो गया है। इन कंप्यूटरों को माइक्रो कंप्यूटर कहा जाता है। इस प्रकार जो कंप्यूटर पहले के दिनों में एक बहुत बड़े कमरे पर कब्जा कर रहा था, उसे अब एक मेज पर रखा जा सकता है। सन् 1975 में प्रथम माइक्रो कम्प्यूटर Altair 8000 प्रस्तुत किया गया। 

सन् 1981 मे IBM ने पर्सनल कम्प्यूटर प्रस्तुत किया जिसका उपयोग घर, कार्यालय एवं विघालय मे होता है। चतुर्थ पीढी के कम्प्यूटर मे लेपटॉप का निर्माण किया गया। चौथी पीढ़ी के कुछ कंप्यूटर IBM PC, Apple-Macintosh आदि हैं। हार्ड डिस्क का उपयोग द्वितीयक मेमोरी के रूप में किया जाता है। कीबोर्ड, माउस जैसे इनपुट उपकरणों के साथ साथ आउटपुट के लिए विभिन्न प्रिंटर का उपयोग किया जाने लगा।

ऑपरेटिंग सिस्टम ( OS) के रूप में MS-DOS, UNIX, Apple का Macintosh उपलब्ध था। ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड लैंग्वेज सी ++ आदि विकसित की गई।           

चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषताएँ | Characterstics of Fourth Generation’s Computers      

चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषताएँ निम्नानुसार हैं: 

  • इन कंप्यूटर की भंडारण क्षमता (storage capacity) बहुत अधिक है। 
  • इनकी प्रोसेसिंग की बहुत उच्च गति है एवं 100% सटीकता के साथ साथ विश्वसनीय हैं।  
  • कंप्यूटर का आकार काफी छोटा हो गया एवं यह डेस्कटॉप,लैपटॉप या पामटॉप के रूप में आने लगा।  
  • माइक्रो कंप्यूटर या पर्सनल कंप्यूटर का उपयोग किया जाने लगा।  
  • माइक्रोप्रोसेसर (वीएलएसआई) को उनके मुख्य एलिमेंट के रूप में इस्तेमाल किया गया।      

पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर | Fifth Generation Computers’s  

पंचम पीढी के कम्प्यूटर का समय वर्तमान से आने वाला भविष्य माना जाता है. 5वीं पीढ़ी के कंप्यूटर अल्ट्रा-लार्ज स्केल इंटीग्रेशन (ULSI) चिप्स का उपयोग करते हैं। ULSI चिप्स में लाखों ट्रांजिस्टर एक ही इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) में रखे गए हैं। इस अवधि के दौरान 64 बिट माइक्रोप्रोसेसर विकसित किए गए हैं। 1 जीबी से अधिक की मेमोरी चिप्स और फ्लैश मेमोरी, 1024 जीबी (1 TB) अधिक की हार्ड डिस्क और 50 जीबी तक के ऑप्टिकल डिस्क (ब्लू रे) विकसित किए गए हैं।       

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटिंग डिवाइस अभी भी विकास में हैं, हालांकि कुछ एप्लिकेशन हैं जैसे कि वॉइस रिकग्निशन आज सामान्यतः आसानी से उपयोग किए जा रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर विज्ञान की वह शाखा है जो कंप्यूटर को इंसानों की तरह बनाने से संबंधित है। यह शब्द 1956 में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में जॉन मैकार्थी द्वारा डेवलप किया गया था।

कंप्यूटर की पाँचवी पीढ़ी में कृत्रिम बुद्धि (Artificial Intelligence) की अवधारणा, वोइस रिकग्निशन, मोबाईल संचार, सेटेलाईट संचार, सिग्नल डाटा प्रोसोसिंग को आरम्भ किया गया। उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओँ जैसे JAVA, VB, डॉट.NET, पाइथन, मशीन लर्निंग की शुरुआत इस पीढ़ी में हुई। कंप्यूटर की पांचवीं पीढ़ी के रूप में एक नई तकनीक उभर कर आई जिसे ULSI (Ultra Large Scale Integrated) कहा जाता है, जिसके अंतर्गत सिंगल माइक्रोप्रोसेसर चिप में 10 लाख तक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों तक शामिल किया जा सकता है।  

कंप्यूटर की पाँचवी पीढ़ी (Fifth Generation Computer) में Artificial Intelligence एवं इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स (IoT)जैसी तकनीकों के आधार पर काम करेंगे, यह कम्प्यूटर्स खुद ही सोचने की क्षमता रखते हैं. कम्प्यूटर्स को उस योग्य बनाया जा रहा है ताकि यह हर तरह का काम कर सकें. लोगों का काम आसान करने के लिए. इन कम्प्यूटर्स को काफी हद तक सफलता भी प्राप्त हो चुकी है. जैसे – Google Assistant, Windows Cortana,और Apple Siri के माध्यम से कुछ ऑटोमेटेड टास्क सिर्फ बोल कर ही किये जा रहे हैं.

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