Electricity

विधुतीय सम्बन्धी शब्दावली Electricity Related Terminology 

इलेक्ट्रॉन प्रकृति का मूल कण है जो विद्युत धारा के प्रवाह एवं सभी प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक एवं वैद्युतिकी प्रक्रियों के लिए उत्तरदायी है। 

पदार्थ Matter 

“जिसका कोई निश्चित भार होता है और जो स्थान घेरता है, उसे पदार्थ कहते हैं।” हमारी पृथ्वी पर पदार्थ तीन रूपों में पाया जाता है। ये निम्न हैं 

ठोस (Solid):- जिसका निश्चित भार, आयतन व आकार होता है वह ठोस (solid) कहलाता है। सामान्य तापक्रम पर सोना, लोहा, कोयला, पत्थर आदि ठोस होते हैं। 

द्रव (Liquid):- जिसका निश्चित भार व आयतन तो होता है, परन्तु निश्चित आकार नहीं होता और जिस पात्र में भरा जाता है उसी का आकार ग्रहण कर लेता है वह द्रव (liquid) कहलाता है। सामान्य तापक्रम पर जल, पारा, गन्धक का अम्ल आदि द्रव होते हैं। 

गैस (Gas):- गैस का निश्चित भार तो होता है परन्तु निश्चित आयतन व आकार नहीं होता और जिस पात्र में भरी जाती है उसी का आयतन और आकार ग्रहण कर लेता है वह गैस (gas) कहलाती है। सामान्य तापक्रम पर हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइ ऑक्साइड आदि गैसें होती हैं। 

अणु Molecule :- प्रत्येक पदार्थ छोटे-छोटे कणों से बना होता है जिन्हें अणु कहते हैं। “किसी पदार्थ का वह छोटे-से-छोटा कण जिसमें उस पदार्थ के सभी भौतिक एवं रासायनिक गुण विद्यमान हों और जो स्वतन्त्र अवस्था में विद्यमान रह सके उसे अणु कहते हैं । ” 

परमाणु Atom :- पदार्थ का प्रत्येक अणु, अपने से छोटे कणों तथा परमाणुओं से मिलकर बना होता है। ” किसी पदार्थ का वह छोटे-से-छोटा कण जो रासायनिक क्रियाओं में भाग ले सके अथवा रासायनिक क्रियाओं के द्वारा पृथक् किया जा सके और स्वतन्त्र अवस्था में विद्यमान न रह सके उसे परमाणु कहते हैं ।” इससे सम्बन्धित मुख्य पद निम्न प्रकार हैं 

तत्त्व Element :- “केवल एक ही प्रकार के परमाणुओं से बने पदार्थ तत्त्व कहलाते हैं”; जैसे- लोहा, कार्बन, हाइड्रोजन आदि। पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से प्राप्य तत्त्वों की संख्या 92 है और अब तक 13 प्रकार के तत्त्व कृत्रिम रूप से प्रयोगशालाओं में बनाए जा चुके हैं। 

यौगिक Compound :- “दो या दो से अधिक प्रकार के परमाणुओं के रासायनिक संयोग से बने पदार्थ यौगिक कहलाते हैं”; जैसे – नौसादर, नमक, जल आदि। यौगिकों की कुल संख्या का अनुमान लगाना कठिन है, क्योंकि केवल कार्बन नामक तत्त्व से बने यौगिकों की संख्या ही 10,000 से अधिक है। 

मिश्रण Mixture :- “दो-या- दो से अधिक प्रकार के पदार्थों को एक निश्चित अनुपात में भौतिक रूप में मिला देने पर बना पदार्थ मिश्रण कहलाता है।” मिश्रण के अवयवों को भौतिक विधियों से पृथक् किया जा सकता है जबकि यौगिक के अवयवों को रासायनिक विधियों से ही पृथक् किया जा सकता है। 

विधुत वाहक बल Electro Motive Force; EMF :- किसी चालक पदार्थ में से विद्युत धारा को एक सिरे से दूसरे सिरे तक प्रवाहित करने वाला बल, विद्युत वाहक बल कहलाता है। यह सैल, बैट्री, जेनरेटर आदि से प्राप्त किया जाता है। इसका प्रतीक E और मात्रक वोल्ट है। वोल्ट का प्रतीक है। 

प्रतिरोध Resistance :- यह पदार्थों का स्वाभाविक गुण है जिसके कारण वह अपने में से होने वाले विद्युत धारा प्रवाह का विरोध करता है। प्रतिरोध का प्रतीक R और मात्रक ओह्म है। ओह्म का प्रतीक 52 है । 

चालकता Conductivity:-  पदार्थों का वह स्वाभाविक गुण, जो विद्युत धारा प्रवाह में सुगमता प्रदान करता है, चालकता कहलाता है। इसका प्रतीक G, मात्रक साइमन और मात्रक का प्रतीक S होता है। 

विभव Potential :- ” इकाई आवेश को अनन्तता (infinity) से किसी बिन्दु तक लाने में किया गया कार्य उस बिन्दु का विभव कहलाता है।” दूसरे शब्दों में, “किसी वस्तु का वैद्युतिक स्तर जिससे यह निर्देशित होता है कि विद्युत धारा वस्तु से पृथ्वी की ओर अथवा पृथ्वी से वस्तु की ओर प्रवाहित होगी, उस वस्तु का विभव कहलाता है।” यह धनात्मक अथवा ऋणात्मक होता है। 

विभवान्तर Potential Difference, PD :- जब किसी चालक (या प्रतिरोधक) में से विद्युत धारा प्रवाहित होती है तो उसके सिरों के विभवों में कुछ अन्तर पैदा हो जाता है जिसे विभवान्तर कहते हैं। विभवान्तर का प्रतीक V और मात्रक वोल्ट है। वोल्ट का प्रतीक है। 

वोल्ट Volt :- किसी एक ओह्म प्रतिरोध मान वाले चालक में से एक एम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित होने पर उसके सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर का मान एक वोल्ट कहलाता है। 

विधुत धारा Electric Current 

अधिकांश धातुओं के परमाणुओं की अन्तिम कक्षा में केवल एक-दो इलेक्ट्रॉन्स ही होते हैं और नाभिक से दूर होने के कारण इनमें नाभिक के प्रति आकर्षण बल का मान काफी कम होता है। अतः ऐसे तत्त्वों के परमाणुओं में से कुछ बल लगाकर; जैसे- विद्युत वाहक बल लगाकर; इलेक्ट्रॉन्स को गतिमान किया जा सकता है। ऐसे इलेक्ट्रॉन्स (मुक्त इलेक्ट्रॉन्स), एक परमाणु से दूसरे परमाणु में होते हुए उस तत्त्व के टुकड़े के आर-पार प्रवाहित किए जा सकते हैं। इस प्रकार, “किसी तत्त्व या पदार्थ में से इलेक्ट्रॉन्स का प्रवाह विद्युत धारा कहलाता है। ” 

विधुत धारा की दिशा Direction of Electric Current 

प्रारम्भिक अवधारणा (conventional Concept) के अनुसार विद्युत धारा की दिशा धन (+) वस्तु से ऋण (-) वस्तु की ओर होती है परन्तु इलेक्ट्रॉन्स की खोज एवं परमाणु संरचना ज्ञात हो जाने के बाद यह पता चला कि जिस वस्तु के परमाणु कुछ इलेक्ट्रॉन्स त्याग देते हैं, वह वस्तु धनावेशित (positively charged) कहलाती है। इसी प्रकार, जिस वस्तु के परमाणु कुछ इलेक्ट्रॉन्स ग्रहण कर लेते हैं, वह वस्तु ऋणावेशित (negatively charged) कहलाती है अर्थात् मुक्त इलेक्ट्रॉन्स की बहुलता वाली वस्तु, ऋणावेशित एवं इनकी कमी वाली वस्तु, धनावेशित वस्तु होती है। जिस वस्तु के पास मुक्त इलेक्ट्रॉन्स की बहुलता है, वही दूसरी मुक्त इलेक्ट्रॉन्स की कमी वाली वस्तु को मुक्त इलेक्ट्रॉन्स दे सकती है। अतः ‘इलेक्ट्रॉन्स के बहाव’ की दिशा ऋण वस्तु से धन वस्तु की ओर होती है। 

विधुत धारा का मात्रक Unit of Electric Current 

विद्युत धारा का प्रतीक I और मात्रक एम्पियर है। एम्पियर को A से प्रदर्शित करते हैं । 

विद्युत धारा की चाल, प्रकाश की चाल के तुल्य अर्थात् 3 x 10 मीटर प्रति सेकण्ड होती है। 

विधुत धारा के प्रभाव Effects of Electric Current 

विधुत धारा के प्रभाव निम्न प्रकार हैं 

ऊष्मीय प्रभाव Heating Effect :- “प्रत्येक चालक स्वयं में से होने वाले विद्युत धारा प्रवाह का, कम या अधिक विरोध करता है जिसके फलस्वरूप वह गर्म हो जाता है। यह विद्युत धारा का ऊष्मीय प्रभाव कहलाता है।” इस प्रभाव का उपयोग इलैक्ट्रिक प्रैस, इलैक्ट्रिक आयरन, हीटर, बल्ब आदि में किया जाता हैबल्ब तो ऊष्मा के साथ-साथ प्रकाश भी उत्पन्न करता है। 

चुम्बकीय प्रभाव Magnetic Effect:- “विधुत धारावाही चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र पैदा हो जाता है। यह विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव कहलाता है।” इस प्रभाव का उपयोग विद्युत घण्टी, विद्युत चुम्बक, पंखा, मोटर, जनित्र आदि में किया जाता है। 

रासायनिक प्रभाव Chemical Effect:-  अम्लीय विलयनों में से विद्युत धारा प्रवाहित करने पर विलयन में घुले पदार्थ अपने अवयवों में विभाजित हो जाते हैं, यह विद्युत धारा का रासायनिक प्रभाव कहलाता है। इस प्रभाव का उपयोग सैल, विद्युत्लेपन (विद्युतरंजन), धातु निष्कर्षण आदि कार्यों में किया जाता है।

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