इस आर्टिकल में मैं आज कुछ resistor के बारे बताने जा रहा हूँ, और आशा करता हूँ की इस आर्टिकल से आप इसके बारे में अच्छे से जानकारी मिलेगी |
Resistors:- ऐसे electronic components, जिनमे प्रतिरोध(resistance) के गुण को अवश्यकता के अनुसार सीमित किया जाता है, Resistor कहलाते हैं।
साधारणतः सभी पदार्थों में resistance होता है। कुछ में resistance पूरे पदार्थ में समान रूप से होता है, जबकि कुछ में अलग-अलग घनत्व होने के कारण या कोई अशुद्धि(impurity) मिलने के कारण, अलग-अलग स्थान पर resistance भी अलग-अलग होता है।
जैसा कि हम जानते हैं कि resistance का काम वोल्टेज को कम करना या धारा को नियंत्रित करना है, अतः electric या electronic circuits में इसका महत्व है। Resistor इसी गुण पर आधारित कार्य करता है।
यदि सर्किट में resistor का प्रयोग किया जाए तो यह इनपुट की वोल्टेज को आउटपुट में घटा देता है। वोल्टेज घटने के कारण धारा का मान भी स्वतः ही घट जाता है (Ohm’s law)। अतः resistor द्वारा वोल्टेज के साथ-साथ धारा भी नियंत्रित की जा सकती है।
Resistor की value ‘ओम’ में होती है और इसका symbol ‘Ω’ है। Resistor बनाने वाली companies, resistor का मान, अलग-अलग प्रकार के codes से resistor के ऊपर अंकित करती हैं।
Type of Resistors:
1)- Fixed Resistor(स्थिर प्रतिरोध):- स्थिर प्रतिरोध वह प्रतिरोध हैं, जिनका मान परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। ये प्रतिरोध एक निश्चित मान के बनाये जाते हैं, अतः यदि हमें circuit में प्रतिरोध का मान बदलना हो तो हमें पुराने वाले प्रतिरोध को हटा कर नये मान के दूसरे प्रतिरोध को लगाना पड़ेगा।
(a)- Carbon Composition Resistors
इस प्रकार के resistors में कार्बन और धातु का ठोस मिश्रण भरा हुआ होता है। यदि अधिक ओम का resistor बनाना हो, तब कार्बन की मात्र बढ़ा दी जाती है, और यदि कम मान के ओम का resistor बनाना हो, तब धातु की मात्र बढ़ा दी जतरी है। सर्किट से जोड़ने के लिए resistor के दोनों side धातु की लीड लगी होती है। Resistor को पूरी तरह से किसी अच्छे insulating material (कुचालक पदार्थ) से ढक दिया जाता है। निर्माताओं द्वारा resistor का मान, colour code में अंकित किया जाता है। ये प्रतिरोध 1Ω1 से 22MΩ तक और 5% से 20% तक की tolerance तक उपलब्ध हैं।
(b) Wire wound Resistor:-
Wire wound Resistors में ceramic की छड़ के ऊपर nichrome की तार लपेटी होती है। बाहर से पूरे resistor पर insulating material की परत चढ़ा दी जाती है। निर्माणकरताओं द्वारा इनकी रेटिंग, इनके ऊपर कोड में लिख दी जाती है। इस प्रकार के प्रतिरोध का मान कम पर wattage क्षमता अधिक होती है। ये प्रतिरोध, 1Ω से 1KΩ तक और 200 Watt तक उपलब्ध हैं।
(c)- Carbon film Resistor:-
इस प्रकार के resistors के मध्य में ठोस कुचालक (ceramic) होता है। Ceramic के ऊपर, spring के आकार में कार्बन की परत लपेटी होती है और पूरे resistor को किसी कुचालक से ढक दिया जाता है। सर्किट से जोड़ने के लिए दोनों side metal की लीड लगी होती है। इसका मान भी colour coding द्वारा अंकित किया जाता है। ये प्रतिरोध ±1% tolerance में भी उपलब्ध हैं।
2)- Variable Resistor(परिवर्ती प्रतिरोध):- इस प्रकार के प्रतिरोध का मान परिवर्तित किया जा सकता है।
(a)- Linear Resistor:-
Linear variable resistors में बराबर चौड़ाई वाली कार्बन की एक पट्टी होती है। पूरी पट्टी में कार्बन का प्रतिरोध बराबर होता है। कार्बन की पट्टी के दोनों सिरों पर धातु की लीड लगी होती है। धातु के एक लीड, मध्य में होती है, जो कि एक घुमाया जा सकने वाले धातु के pointer से जुड़ी होती है। Pointer, कार्बन की पट्टी पर touch(चिपका हुआ) रहता है। जैसा की चित्र में दिखाया गया है, pointer को घूमाने पर, A और B के बीच का प्रतिरोध दूरी के सापेक्ष, बराबर मात्र में बढ़ता है। इस प्रकार के resistors को potentiometer भी कहते हैं। Electronic उपकरणो में जैसे T.V., radio आदि में इनका उपयोग आवाज़ घटाने-बढ़ाने के लिए भी किया जाता है।
Preset:- ये सर्किट में लगाये जाने वाले छोटे परिवर्ती प्रतिरोध हैं। सर्किट को test करते समय इनको सही मान पर set कर दिया जाता है और इसके बाद इनमे कोई परिवर्तन नहीं किया जाता है। इसी कारण से इनको preset कहते हैं।
(b)- Logarithmic Resistor:-
Logarithmic resistor को log potentiometer भी कहते हैं। यह भी एक परिवर्तिनीय प्रतिरोध है। इस प्रकार के प्रतिरोध में pointer को खिसकाने पर दूरी के सापेक्ष प्रतिरोध का मान, समान रूप से नहीं बढ़ता है। चित्र में एक log potentiometer दिखाया गया है। एक ठोस insulation पदार्थ के ऊपर nichrome की तार लपेटी हुई है। रेसिस्टर के एक सिरे पर nichrome के तार की लंबाई कम है, जबकि दूसरे सिरे की ओर बढ़ते हुए तार की लंबाई भी बढ़ती जाती है, जिसके कारण resistor में प्रतिरोध का मान, एक सिरे से दूसरे सिरे की ओर आरेखीय(non-linear) रूप से बढ़ता है।
प्रतिरोध की विशेषताएँ:-
(a)- प्रतिरोध का मान:- प्रतिरोध का मान ‘ओम’ में होता है, और इसका symbol ‘Ω’ है।
(b)- Wattage rating:- watt rating से पता चलता है की प्रतिरोध से अधिकतम कितनी धारा प्रवाहित हो सकती है।
(c)- Tolerance:- किसी भी resistor का tolerance, resistor के प्रतिरोध में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन को प्रदर्शित करता है। उदाहरण के लिए यदि 100Ω के resistor की tolerance ±10% है तो इसका मतलब यह हुआ कि रेसिस्टर का प्रतिरोध 90 Ω से 110 Ω तक कुछ भी हो सकता है।
Colour coding of Resistors:-
अधिक watt के प्रतिरोध (साधारणतः 5 watt से ऊपर) आकार में बड़े होते हैं, अतः उन पर, उनका मान अंकित करना आसान होता है। परंतु कम wattage के प्रतिरोध छोटे होते हैं, अतः उनका मान, रंगों की पट्टी द्वारा अंकित किया जाता है। सभी रंग, एक नंबर को प्रदर्शित करते हैं।
कलर कोड वाले अधिकतर resistors में चार बैंड होते हैं, परंतु कुछ resistors पाँच और छः बैंड में भी उपलब्ध हैं।
चार बैंड वाले resistor में 1st और 2nd बैंड पहली और दूसरी संख्या को प्रदर्शित करते हैं, जबकि तीसरा बैंड, 10 की घात (×10power) को प्रदर्शित करता है। चौथा बैंड tolerance की percentage को दर्शाता है। यदि चौथे बैंड में कोई पट्टी नहीं है, तब इसका मतलब no color band है। चौथा बैंड न होने पर रेसिस्टर की tolerance ±20% होती है।
पाँच बैंड वाले resistors में 1st, 2nd और 3rd बैंड, संख्याओं को दर्शाते हैं। जबकि 4th बैंड 10 की power का है। इसमे 5th बैंड, tolerance का है।
छः बैंड वाले resistors की पहली पाँच पट्टी, पाँच बैंड वाले resistor की तरह ही होती हैं। परंतु 6th बैंड temperature coefficient को प्रदर्शित करता है। इसके द्वारा पता चलता है की हर एक डिग्री तापमान बढ़ने या घटने पर resistor के प्रतिरोध में कितना अंतर आता है। जहां तापमान में लगातार परिवर्तन होता है, वहाँ इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।