आवश्यकताएं (Requirements)
1. इन्सुलेटेड कॉम्बीनेशन प्लायर | 4. फ्यूज तार | 7.धातु की टोपी |
2. इलैक्ट्रीशियन नाइफ | 5. फ्यूज बॉडी | 8. फिलर पदार्थ |
3. फेज टेस्टर | 6. विधुतरोधी बेलनाकार ट्यूब |
क्रियाविधि (Procedure)
A. पुनर्तारीय पयूज-
- इस प्रकार के फ्यूज में धातु-तार का फ्यूज अवयय उपयोग करें जिसको पिपलकर गिर जाने पर अथवा क्षय हो जाने पर स्थानान्तरित करें।
2. इसमें फ्यूज तार प्राय: टिन लेपित ताम्र-तार का लें जिसे फ्यूज- कैरियर में दो सम्पर्क सिरा स्क्रूओं के मध्य कस दें।
3. इसके पश्चात् फ्यूज कैरियर को स्विच बोर्ड पर स्थापित फ्यूज आधार में लगा दें। इस प्रकार फ्यूज़ वाहक तथा फ्यूज आधार के सम्पर्क सिरे
आपस में संयोजित होकर, फ्यूज तार की सहायता से सप्लाई सिरे को परिपथ सिरे से संयोजित करते हैं।
4. पुनर्तारीय फ्यूज मुख्यतया निम्न दो प्रकार के उपयोग में लिये जाते हैं-
(a) गोलाकार फ्यूज अथवा राउण्ड फ्यूज
(b) किट कैट फ्यूज़
5. गोलाकार प्ररूपी फ्यूज में फ्यूज होल्डर पोर्सिलिन या बैकेलाइट पदार्थ की गोलाकार डिब्बी की आकृति का लें जिसमें दो पृथक्-पृथक्
पीतल अथवा ताम्र के स्क्रू युक्त सम्पर्क सिरे स्थापित रहते हैं। इनमें फ्यूज तार को बांधकर, स्क्रूओं की सहायता से कस दें।
चित्र (1) देखें ।
6.किट कैट फ्यूज का फ्यूज होल्डर प्राय: विधुतरोधी पदार्थ पॉर्सिलिन का ही प्रयोग लें। यह दो भागों में विभाजित होता है। प्रथम भाग
फ्यूज आधार होता है, जिसे किट शब्द से सम्बोधित किया जाता है जो मीटर बोर्ड या स्विच बोर्ड पर स्थित होता है। दूसरा भाग फ्यूज
वाहक है, जिसे कैट शब्द से सम्बोधित किया जाता है। इसमें धातु के दो सम्पर्क सिगँ के मध्य एक फ्यूज तार, स्क्रूओं द्वारा कसा रहता है,
जो त्रुटि अवस्था में उच्च धारा से पिघलकर विधुत परिपथ को ब्रेक करने का कार्य करता है। चित्र (2) एवं चित्र (3) देखें ।
B. कार्टरिज फ्यूज-
- चित्र (4) के अनुसार कार्टरिज फ्यूज में विधुतरोधी पदार्थ पॉर्सिलिन टाइल अथवा शीशे से बनी बेलनाकार नली का प्रयोग करें।
2. इसमें फ्यूज तार या फिलर पदार्थ (क्वार्ट्ज सैण्ड) भर दें।
3. तत्पश्चात् नली के दोनों सिरे धातु की टोपियों द्वारा पूर्ण रूप से बंद कर दें।
4. इस फ्यूज की आकृति एक कारतूस जैसी होती है इसलिए इसे कारतूस कार्टरिज फ्यूज भी कहते हैं।
5. इन फ्यूजों की बाह्य सतह पर सूचक वृत (Index Circle) होता है, जो फ्यूज के सही अवस्था में होने पर सामान्य अवस्था में होता है।
6. अतिभार अथवा लघुपस्थित स्थिति में जब धारा का मान अधिक बढ़ जाता है तब फ्यूज में उत्पन्न ताप के कारण फ्यूज अवयव पिघलकर
वाष्पित हो जाता है। कारतूस नली में उत्पादित वाष्प तथा चिंगारी को ठंडा करने का कार्य फिलर पदार्थ के द्वारा होता है।
7. H.R.C. प्रकार के कार्टरिज फ्यूज को चित्र 5 में दिखाया गया है।
सावधानियां (Precautions)
- किट-कैट प्रारूपी फ्यूज को 650 वोल्ट पर 500 एम्पियर तक की धारा क्षमता तक के लिए प्रयोग करें।
- गोलाकार फ्यूज में फ्यूज तार का स्थानान्तरण करने के लिए सर्वप्रथम मुख्य स्विच को ऑफ करना आवश्यक होता है।
- धातु की टोपियों को टाइट बंद करें।
- फिलर पदार्थ (क्वार्ट्ज सैण्ड) का ही प्रयोग करें।
- वर्कशॉप में कार्य करते समय आपकी एकाग्रता कार्य के तरफ होनी चाहिए।
परिणाम (Result)
इस प्रयोग में हमने विभिन्न प्रकार के फ्यूज की विशिष्टताओं की पहचान करना सीखा।